जिन बच्चों के हाथों में होते थे पत्थर, अब पकड़ ली कलम, गरीब बच्चों के लिए मसीहा बना RPF इंस्पेक्टर

कृष्ण कुणाल सिंह, नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के पटेल नगर रेलवे लाइन के पास झुग्गी में रहने वाले बच्चों के हाथों में कभी पत्थर होते थे। यह बच्चे वहां से गुजरने वाली ट्रेनों पर पत्थरबाजी करते थे। नशे की के लिए चोरी आपराधिक वारदात को अंजाम देते थे।

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कृष्ण कुणाल सिंह, नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के पटेल नगर रेलवे लाइन के पास झुग्गी में रहने वाले बच्चों के हाथों में कभी पत्थर होते थे। यह बच्चे वहां से गुजरने वाली ट्रेनों पर पत्थरबाजी करते थे। नशे की के लिए चोरी आपराधिक वारदात को अंजाम देते थे। लेकिन 2021 के बाद से यहां रहने वाले झुग्गियों में बच्चों के हाथों में अब पत्थर नहीं बल्कि कलम आ गए हैं। हालांकि अभी भी कलम पकड़ने वाले बच्चों की संख्या कम है। लेकिन यह संख्या लगातार बढ़ रही है। 2021 में इन बच्चों की संख्या जहां 6 थी, जो बढ़कर 38 हो गई। पटेल नगर आरपीएफ कैंप अब उनका स्कूल बन बन गया है।

2021 में शुरु किया था स्कूल
इस स्कूल की शुरुआत 2021 में पटेल नगर रेलवे स्टेशन पर तैनात आरपीएफ के इंस्पेक्टर संदीप यादव ने की थी। संदीप यादव ने बताया कि मार्च 2021 में वह पटेल नगर रेलवे स्टेशन पर तबादले के बाद आए थे। लेकिन यहां पर आने पर देखा कि छोटे-छोटे बच्चे, जिनकी उम्र 8, 10 या 12 साल थी, वह वहां से गुजरने वाली ट्रेनों पर पत्थर फेंकते थे। चोरी और अन्य छोटी-मोटी आपराधिक घटनाओं में शामिल रहते थे। वह नशा करते थे। हालांकि शुरुआत आसान नहीं थी। लेकिन उन्होंने उन बच्चों को शिक्षित करने की ठान ली। इसके लिए एक एनजीओ की मदद ली। यह लोग बस्ती में रहने उन छोटे बच्चों के घर गए। उनके परिवारवालों से बातचीत की। उनकी काउंसलिंग की। काफी प्रयास के छह बच्चे पढ़ने के लिए राजी हुए। वह खुद भी बच्चों को पढ़ाते है। इसके अलावा शुभम और रंजना भी इन बच्चों को पढ़ाती है।

फिलहाल यहां 38 बच्चे पढ़ रहे
2024 में यहां पर पढ़ने वाले बच्चों की संख्या अब 38 हो गई है। अब बच्चे पत्थर नहीं कलम चलाते हैं। पहले बस्ती में ही इन बच्चों को पढ़ाया जाता था। लेकिन संख्या बढ़ने के कारण उन्हें आरपीएफ कैंप में पढ़ाया जाता है। वेस्ट बंगाल के रहने वाले 11 साल के बच्चे ने बताया कि उन्हें यहां पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। अब उनका छोटा भाई और छोटी बहन भी पढ़ने आती है। वह कभी गलत संगत के कारण नशा करते थे। चोरी करते थे। लेकिन अब नहीं। उनके कुछ दोस्त भी यहां पर पढ़ते है।

क्या बोले बच्चे?
वहीं 11 साल के मानव, उनका छोटा भाई अविनाश और छोटी बहन खुशी यहां पर पिछले डेढ़ साल से पढ़ाई कर रहे हैं। उनका परिवार भी वेस्ट बंगाल का रहने वाला है। मानव पढ़ कर फौज में जाना चाहते हैं, ताकि देश की सेवा कर सके। 13 साल की जैनब सर्वोदय कन्या विद्यालय में दिन में पढ़ने जाती है और फिर शाम को यहां पर पढ़ने आ जाती है। जैनब ने बताया कि यहां बहुत बढ़िया पढ़ाई होती है। वह बड़ी होकर अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहती है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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